अनशन पर बैठे दो ओबीसी कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद महाराष्ट्र कृषि मंत्री धनंजय पांडे ने कहा कि हम किसी आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। अनशन पर बैठे कार्यकर्ताओं की मांग सरकार के सामने रखी जाएगी।
पिछले छह दिनों से अनशन पर बैठे दो ओबीसी कार्यकर्ताओं से मिलने एनपीसी विधायक धनंजय मुंडे और भाजपा नेता पंकजा मुंडे पहुंचे। मुलाकात के बाद महाराष्ट्र के कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसी के लिए आरक्षण के खिलाफ नहीं है। अनशन पर बैठे कार्यकर्ताओं की मांग को सरकार के समक्ष रक्षा जाएगा।
13 जून से महाराष्ट्र के जालना में दो ओबीसी कार्यकर्ता अनशन पर बैठे हैं। दोनों कार्यकर्ता ओबीसी कोटा की सुरक्षा के लिए आंदोलन कर रहे हैं। दरअसल इस साल फरवरी में, महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया। इस विधेयक में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए एक अलग श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया। कार्यकर्ता मनोज जरांगे उस मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन की मांग कर रहे हैं, जो कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के “ऋषि सोयारे” (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता देती है और कुनबी को मराठा के रूप में पहचानने के लिए एक कानून की मांग कर रहे हैं।
मनोज जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएं, जिससे वे कोटा लाभ के लिए पात्र बन सकें। वहीं हेक और वाघमारे ने कहा है कि वे मराठों के लिए आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इससे ओबीसी कोटा प्रभावित नहीं होना चाहिए। ओबीसी कार्यकर्ता सरकार की मसौदा अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जो कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के “ऋषि सोयारे” के रूप में मान्यता देती है।
उनसे मिलने पहुंचे महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहते हैं कि सरकार किसी के लिए आरक्षण के खिलाफ नहीं है और ओबीसी कोटा की सुरक्षा के लिए आंदोलन कर रहे दो कार्यकर्ताओं की मांगों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भी कई बार इसे स्पष्ट किया है। लेकिन उसके बाद भी समुदायों के बीच गलतफहमियां उत्पन्न हो रही हैं। सरकार को स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि इस (कोटा) मुद्दे पर क्या होने जा रहा है और इसे सभी समुदायों को बताना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गलतफहमियों को जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए। मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा, “दो आंदोलनकारियों की मांगों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा। सरकार को इन दोनों आंदोलनकारियों की मांगों का सम्मान करना चाहिए। इस राज्य और देश में पहले के आंदोलनों को सरकार से जो सम्मान मिला है, वही सम्मान इस आंदोलन और मांगों को भी दिया जाना चाहिए।”