भाजपा की अगुवाई वाल नई राजग सरकार के एजेंडे में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली जनता के हितों से जुड़ा काम प्राथमिकता के तौर पर शामिल हो सकता है। ऐसे में सरकार की कृषि संबंधी योजनाओं में भी कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है। इस संभावना के बनने के पीछे वजह यह है कि ग्रामीण इलाके वाले लोकसभा सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन इस बार वर्ष 2019 के मुकाबले फीका रहा है।
अभी तक जो आंकड़े सामने आए हैं उनके मुताबिक 398 ग्रामीण लोकसभा सीटों में भाजपा को इस बार 165 सीटों पर जीत हासिल हुई है जबकि वर्ष 2019 में 236 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। दूसरी तरफ कांग्रेस को 75 सीटों पर जीत हासिल हुई है जबकि पांच वर्ष पहले 31 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।अगर पूरे राजग की बात करें तो वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2024 में इसे 44 ग्रामीण लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। दूसरी तरफ आइएनडीआइए को कुल 77 सीटों पर जीत हासिल हुई है।
पूर्ण बहुमत से दूर रहने के बावजूद यह संभव
आर्थिक शोध एजेंसी मोतीलाल ओसवाल ने बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है कि पूर्ण बहुमत से दूर रहने के बावजूद यह संभव है कि केंद्र की नई सरकार पीएम नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के एजेंडे को आगे बढ़ाएगा। भाजपा को जिस तरह का चुनाव परिणाम सामने आए हैं, उसे देखते हुए हमें इस बात की भी उम्मीद है कि ग्रामीण क्षेत्रों में संकट को दूर करने के लिए और गरीबी जनता के लिए कुछ लोकलुभावन नीतियों की घोषणा की जा सकती है।
एचडीएफसी ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में कही यह बात
इसी तरह से एचडीएफसी ने चुनाव परिणाम पर जारी अपनी समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि चुनाव परिणाम के बाद अब लगता है कि राजग सरकार के लिए निवेश और उपभोग को बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देना होगा। जबकि पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में ढ़ांचागत परियोजनाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता रहा है। ढांचागत परियोजनाओं पर फोकस पहले के मुकाबले थोड़ा घट सकता है।
कोविड के बाद देश के शहरी क्षेत्रों में मांग की स्थिति सुधरी
रिपोर्ट आगे कहती है कि, नई सरकार का ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति को सुधारने और कम आय वर्ग वाले परिवारों में उपभोग बढ़ाने पर रहेगा। सनद रहे कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई आर्थिक रिपोर्टों ने यह बताया है कि कोविड के बाद देश के शहरी क्षेत्रों में मांग की स्थिति सुधर गई है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में उपभोग की स्थिति लंबे समय तक नहीं सुधरी थी। इसके लिए महंगाई की स्थिति, बेरोजगारी और कृषि से होने वाली आय में तकरीबन स्थिरता को जिम्मेदार ठहराया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ी मांग
अब जा कर आरबीआइ ने पिछले दिनों जारी मई, 2024 की मासिक रिपोर्ट यह बात कही है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी मांग बढ़ने लगी है। आर्थिक शोध एजेंसी नील्सनआइक्यू की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 से वर्ष 2023 की पहली तिमाही तक ग्रामीण उपभोग में लगातार कमी आई है। वैसे भाजपा सरकार का यह दावा रहा है कि ग्रामीण इकोनमी पर काफी ध्यान दिया गया है।
किसानों को दी जाने वाली राशि में हुई काफी वृद्धि
मनरेगा, पीएम किसान और जल जीवन मिशन जैसे कार्यक्रमों से किसानों को दी जाने वाली राशि में काफी वृद्धि भी हुई है। दूसरी तरफ, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब जैसे ग्रामीण बहुत राज्यों में भाजपा का खराब प्रदर्शन का संकेत कुछ और दिखाई देता है। यही वजह है कि आर्थिक एजेंसियां इसका असर नई सरकार की नीतियों पर दिखने की बातें कह रही हैं।