यूपी की 17 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा किया मतदान

माना जा रहा है कि इन क्षेत्रों में पुरुष कमाने के लिए बड़े शहरों में चले जाते हैं और मतदान के दिन लौटते नहीं हैं। यही वजह है कि यहां महिलाएं पुरुषों से मतदान में आगे रहती हैं।

प्रदेश की 17 लोकसभा सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया है। ये सभी सीटें अवध और पूर्वांचल की हैं। माना जा रहा है कि इन क्षेत्रों में पुरुष कमाने के लिए बड़े शहरों में चले जाते हैं और मतदान के दिन लौटते नहीं हैं। यही वजह है कि यहां महिलाएं पुरुषों से मतदान में आगे रहती हैं।

केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी की सीट महराजगंज में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं सबसे आगे रहीं। यहां 58,424 महिलाओं ने पुरुषों के अनुपात में अधिक मतदान किया। जबकि, बस्ती में पुरुष और महिला मतदाताओं की संख्या में 20 का अंतर रहा। वहां महिला मतदाताओं की संख्या अधिक रही। देवरिया में भी पुरुषों से 53,839 महिला मतदाता अधिक रहीं।

गांधी परिवार की सीट मानी जाने वाली रायबरेली में भी पुरुषों के मुकाबले महिलाएं मतदान करने में आगे रहीं। वहां यह अंतर 10,655 का रहा। इस सीट पर पिछला चुनाव सोनिया गांधी जीती थीं, जबकि इस बार राहुल गांधी मैदान में हैं। मेनका गांधी की सीट सुल्तानपुर पर भी महिलाएं मतदान में आगे रहीं। यह अंतर 15,736 का रहा। मुस्लिम और यादव बहुल आजमगढ़ सीट पर भी पुरुषों से 6,755 महिलाओं ने अधिक वोट डाले।

बासंगांव, लालगंज और मछलीशहर सुरक्षित सीटों पर भी महिलाएं आगे रहीं। ये अंतर क्रमशः 42,908, 40,516 और 12,284 का रहा। गौतम बुद्ध की धरती कुशीनगर में पुरुषों के अनुपात के मुकाबले 56,785 महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले। डुमरियागंज में भी पुरुषों के अनुपात से 34,101 महिलाएं अधिक निकलीं।

सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में भी महिलाओं ने मतदान करने में अधिक जज्बा दिखाया। पुरुषों के मुकाबले 17,060 अधिक महिलाएं बूथों तक पहुंचीं। महान समाज सुधारक कबीर की धरती संतकबीरनगर में भी महिलाएं आगे रहीं। पुरुषों के अनुपात से 25,361 अधिक महिलाओं ने मतदान किया। इन 17 जिलों का मतदान वहां की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को भी दिखाता है।

चुनाव आयोग भी मानता है कि यहां पुरुष काम की तलाश में बाहर जाते हैं और जहां काम करते हैं, वहां कई कारणों से मतदाता नहीं बनते। इसमें एक कारण यह धारणा भी है कि गांव के लाभों से जुड़े रहने के लिए वहीं वोट रहना जरूरी है। लेकिन, यह भी देखा गया है कि आम तौर पर यह लोग मतदान के दिन वोट करने नहीं आते हैं।

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