2047 तक विकसित भारत के मद्देनजर स्वास्थ्य सेवाओं के हिसाब से 50 लाख से अधिक डॉक्टर चाहिए तो अस्पतालों में 30 लाख और बेड उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है। नर्सों की संख्या भी 1.25 करोड़ से 1.50 करोड़ तक पहुंचानी होगी।
औद्योगिक संगठन फिक्की और रिसर्च एजेंसी ईवाई की ‘डिकोडिंग इंडियाज हेल्थकेयर लैंडस्केप’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार अस्पतालों में डाक्टरों, नर्सों और बिस्तरों की संख्या में वृद्धि से भारत को विकसित देशों के औसत के करीब पहुंचने में मदद मिलेगी।
एमबीबीएस सीटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की बढ़ती मांग को देखते हुए मेडिकल कालेजों और एमबीबीएस सीटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2014-15 में 398 मेडिकल कालेज थे और इन कालेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए 45,456 सीटें थीं। वर्ष 2023-24 में मेडिकल कालेज की संख्या 706 तक पहुंच गई और इन कालेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए 1,09,145 सीट है। पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
2021 में देशभर में 60,621 सरकारी अस्पताल थे
यह 2005 के 6,60,801 के मुकाबले बढ़कर 2022 में 13,08,009 हो गई। इसी तरह, भारत भर के सरकारी अस्पतालों में बिस्तर की क्षमता 2005 में 4.7 लाख बिस्तरों से लगातार बढ़कर 2021 में 8.5 लाख बिस्तरों तक पहुंच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में देशभर में 60,621 सरकारी अस्पताल थे जहां बिस्तरों की संख्या 8,49,206 थी। रिपोर्ट के मुताबिक विकसित देश बनने के लिए देश के सभी जिलों में एक मेडिकल कालेज की स्थापना करनी होगी और लोगों की जेब पर दवा खर्च का भार कम करना होगा।
देश की 100 प्रतिशत आबादी को हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में लाना
देश की 100 प्रतिशत आबादी को हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में लाना होगा। हालांकि पिछले 10 सालों में स्वास्थ्य सुविधा के प्रति सरकारी खर्च बढ़ने के साथ अस्पताल, डाक्टर, नर्स जैसी तमाम स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2003-04 में जीडीपी का 0.9 प्रतिशत हेल्थ केयर पर खर्च किया गया जो वर्ष 2014-15 में जीडीपी का 1.2 प्रतिशत हो गया।
खर्च जीडीपी के 2.3 प्रतिशत तक पहुंच
वर्ष 2022-23 में यह खर्च जीडीपी के 2.3 प्रतिशत तक पहुंच गया। स्वास्थ्य सुविधा में बढ़ोतरी का यह परिणाम हुआ कि वर्ष 2013-14 से वर्ष 2022-23 के दौरान इलाज के लिए अपनी जेब की क्षमता से बाहर जाकर किए जाने वाले खर्च में 20 प्रतिशत की कमी आई। वर्ष 2014 के बाद हर साल 5.9 प्रतिशत की दर से मेडिकल कालेज की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।