उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू होंगे। इनमें भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 शामिल हैं। नए कानूनों के लागू होने के साथ ही ब्रिटिश राज के औपनिवेशिक कानूनों का अंत हो जाएगा। इन नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों का खास ध्यान रखा गया है। उनके खिलाफ होने वाले अपराधों के मामलों में सख्त सजा देने का प्रावधान है। साथ ही इसमें पेपर लीक कराने वालों को भी सख्त सजा देने का प्रावधान है।
यूपी पुलिस पूरी तरह तैयार
यह नए कानून एक जुलाई से यूपी में भी लागू होंगे। इसके लिए यूपी पुलिस पूरी तरह तैयार हो गई है। इसकी जानकारी देते हुए पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस नए कानूनों को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी पुलिस अधिकारियों को ट्रेनिंग व परीक्षा लेकर और तकनीक से परिचित कराकर नए कानूनों से अवगत कराया गया है। आगामी एक जुलाई को जब ये कानून लागू होंगे तो हर थाने पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। नए आपराधिक कानूनों में इस बात का ध्यान रखा गया है कि किसी शिकायत के समाधान में उससे जुड़े किसी भी पक्ष का उत्पीड़न न हो। भारतीय न्याय संहिता 2023 में ये सुनिश्चित किया गया है कि अपराध के मामले में पीड़ित को तय समय सीमा में न्याय मिले। नए आपराधिक कानूनों में आतंकवाद और संगठित अपराध जैसे नए विषय भी शामिल किए गए हैं।
नए कानूनों के क्रियान्वयन के लिये यूपी पुलिस पूरी तरह से प्रतिबद्ध
पुलिस अपर महानिदेशक (प्रशिक्षण) सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गयी है जिससे सूचना दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी। नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा। वहीं, प्रदेश पुलिस की महानिदेशक (प्रशिक्षण) तिलोत्तमा वर्मा ने कहा कि नए कानूनों से पुलिस अधिकारियों को अवगत कराने के लिये पूरे प्रदेश में वृहद स्तर पर प्रशिक्षण कार्य किया गया है। ये एक चुनौती होगी कि लोग पुराने कानूनों को भूलकर नए कानूनों का अनुसरण करे। नए कानूनों के क्रियान्वयन के लिये यूपी पुलिस पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
जानिए तीन नए क्रिमिनल लॉ में क्या है खास
इन तीन नए क्रिमिनल लॉ में बच्चों से अपराध करवाना, आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध है। नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल, नाबालिग से गैंगरेप पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड, पीड़ित का अभिभावक की उपस्थिति में बयान दर्ज होगा। वहीं, महिला अपराधों में ज्यादा सख्ती की जाएगी। जैसे, गैंगरेप में 20 साल की सजा, आजीवन कारावास। यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना अब अपराध। पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज होगा। इसके अलावा तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी जरूरी है। घटनास्थल की वीडियोग्राफी डिजिटल लॉकर में सुरक्षित होगी। 90 दिन में शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा। गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।
इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत के तीन बाद थाने जाकर हस्ताक्षर कर सकेंगे। 60 दिन के भीतर आरोप तय होंगे और मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में निर्णय होगा। डिजिटल एवं तकनीकी रिकॉर्ड दस्तावेजों में शामिल होंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये न्यायालयों में पेशी हो सकेगी। सिविल सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य है। छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य होगा। पहली बार अपराध पर हिरासत अवधि कम, एक तिहाई सजा पूरी करने पर जमानत होगी।