बाबा केदार और और मां गंगा की डोली ने अपने-अपने धाम के लिए प्रस्थान किया। बाबा केदार की डोली आज शाम तक धाम पहुंच जाएगी। जबकि मां गंगा की डोली कल सुबह धाम पहुंचेगी। इसी के साथ कल 10 मई शुक्रवार को बाबा केदारनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुल जाएंगे।
अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे। मां गंगा के शीतकालीन पड़ाव मायके मुखबा (मुखीमठ) से मां गंगा की डोली जयकारों व आर्मी के पाइप बैंड की धुन के साथ गंगोत्री धाम के लिए रवाना हो गई है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण व श्रद्धालु मुखबा स्थित गंगा मंदिर प्रांगण में मौजूद रहे।
कल सुबह डोली यात्रा गंगोत्री धाम पहुंचेगी। जहां शुभ मुहूर्त में दोपहर 12:25 बजे धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले जाएंगे। प्रतिवर्ष गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने पर मां गंगा की डोली शीतकालीन पड़ाव मुखबा स्थित गंगा मंदिर में रहती है।
गंगोत्री धाम के कपाट उद्घाटन पर शीतकालीन पड़ाव से मां गंगा की डोली को ग्रामीण धाम के लिए विदा करते हैं। कल शुक्रवार को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले जाने हैं। इससे पूर्व बृहस्पतिवार को शीतकालीन पड़ाव मुखबा से ग्रामीणों ने मां गंगा की डोली को धाम के लिए विदा किया।
मायके से बेटी की तर्ज पर हुई इस विदाई का दृश्य भावुक करने वाला रहा। ग्रामीणों ने मां की डोली को अरसे व रोटाना आदि का कलेऊ (भेंट) किया। हर्षिल में तैनात सेना की जेकएलआई के पाइप बैंड की धुन और गंगा के जयकारों के साथ मां गंगा की उत्सव डोली यात्रा की विदाई पर हर्षिल घाटी के मुखबा सहित सुक्की, झाला, हर्षिल, जसपुर, पुराली, बगोरी व धराली गांव के ग्रामीण व श्रद्धालु बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
गंगा पुरोहित सभा के अध्यक्ष संजीव सेमवाल ने बताया कि मां गंगा की उत्सव डोली में मां गंगा की भोगमूर्ति, मां अन्नपूर्णा, राजा भगीरथी, मां सरस्वती की मूर्ति भी मौजूद रहती है। इसके साथ ही समेश्वर देवता की डोली देवी मंदिर तक भी साथ जाती है। बताया कि बृहस्पतिवार आज डोली यात्रा भैरोंघाटी के देवीमंदिर में रात्रि विश्राम करेगी। जो कि अगले दिन सुबह धाम पहुंचेगी। जहां दोपहर 12:25 बजे विधि विधान से अमृत बेला व अभिजीत मुहूर्त में गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे।
वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट भी कल अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खोले जाएंगे। इससे पहले सुबह 6.29 बजे प्रातः मां यमुना की डोली खरशालीगांव में स्थित यमुना मंदिर से स्थानीय वाद्ययंत्रों के साथ यमुनोत्री धाम के लिए रवाना होगी और विशेष पूजा अर्चना अभिषेक करने के बाद 10.29 पर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। खरशालीगांव मां यमुना के भाई शनिदेव महाराज की डोली भी अपनी बहन को विदा करने यमुनोत्री धाम जाएंगे। यमुनोत्री धाम से मां यमुना के पुजारी राहुल उनियाल ने बताया कि धाम में मंदिर को फूलों से सजाया गया है। इधर खरशालीगांव में स्थित यमुना मंदिर को फूलों से सजाया गया और मायके वासियों द्वारा मां यमुना की विदाई की तैयारी की है।