वाराणसी: वरुणा और असि नदी के रास्ते गंगा में रोज जा रहा 100 करोड़ लीटर सीवेज

पूर्व में भेजी रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी 15 नालों से वरुणा में आंशिक या गैर शोधित जल गिराया जा रहा है। असि में भी गैर शोधित अपशिष्ट जल रोज छोड़ा जा रहा है। लोहता में 348 करोड़ रुपये की लागत से एक नया एसटीपी तैयार होगा। प्रशासन की बेरुखी से वरुणा नदी का अस्तित्व भी खतरे में है।

वरुणा और असि नदी के रास्ते इन दिनों 100 मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी) सीवर सीधे गंगा में जा रहा है। 33 एमएलडी असि, वरुणा नदी से 37 और शहर के अन्य हिस्सों का 30 एमएलडी योगदान है। वरुणा कॉरिडोर आवाजाही करने वालों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सीवर से गुजरने वालों की शिकायत के बाद भी अधिकारियों की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। पूर्व में भेजी रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी 15 नालों से वरुणा में आंशिक या गैर शोधित जल गिराया जा रहा है। असि में भी गैर शोधित अपशिष्ट जल रोज छोड़ा जा रहा है। सीमांकन के संबंध में भी कोई जानकारी नहीं दी गई है।

201 करोड़ रुपये से वरुणा कॉरिडोर बनाया गया। सात किमी क्षेत्र को हरा भरा करने के साथ दोनों किनारों पर सीवर के लिए पाइपलाइन डाली गई है। इन्हें गोइठहां एसटीपी से जोड़ा गया ताकि सीवर सीधे वरुणा के जरिये गंगा में न जा सके। वरुणा किनारे बने होटलों के अलावा अन्य भवनों से सीवर जा रहा है।

कई जगहों पर चेंबर और पाइप लाइनें टूट चुकी हैं। जिसकी वजह से सीवर ओवरफ्लो होकर वरुणा में जा रहा है। भगवानपुर में 55 एमएलडी के नए एसटीपी का शिलान्यास हो गया है। इसकी मदद से असि में जा रहे सीवर को साफ कर भेजा जा सकेगा। लोहता में 348 करोड़ रुपये की लागत से एक नया एसटीपी तैयार होगा।

यह 55 एमएलडी शोधन क्षमता के साथ गंगा में जा रहे वरुणा के जरिये सीवर को ट्रीट करने का बड़ा काम करेगा। सूजाबाद में दोनों को टैप करने के लिए 198 करोड़ रुपये की लागत से 5 एमएलडी का एसटीपी प्रस्तावित है। वरुणा नदी जो प्रयागराज के फूलपुर के पास मैल्हन झील से निकलती है और वाराणसी में गंगा में मिल जाती है उसके उद्गम स्थल में ही पानी नहीं बचा है। असि नदी का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका था। प्रशासन की बेरुखी से वरुणा नदी का अस्तित्व भी खतरे में है।

किनारों को हरा भरा करने की योजना अधर में
वरुणा नदी को सीवर से मुक्त करने के साथ इसके किनारों को हराभरा करने के लिए योजना बनाई गई थी। लेकिन, ये योजनाएं परवान नहीं चढ़ सकीं। यहां कराए गए निर्माण भी अब खराब हो रहे हैं। कई जगहों की इंटरलॉकिंग तक धंस गई है। कई लोगों ने डूब क्षेत्र में निर्माण भी करा रखा है। बाढ़ आने पर मकानों का डूबना तय है। इस क्षेत्र को बेहतर ढंग से विकसित कर दिया जाए तो पर्यटन के लिहाज से बेहतर होगा।

गंगा के कटान में बांध का काम करती थी वरुणा
बीएचयू के गंगा रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार वरुणा-असि नदी का अपना मौलिक जल, गुण, मात्रा और आवेग हुआ करता था। जो नगर के भूमिगत जल स्तर को संतुलित करने के साथ ही गंगा के कटान क्षेत्र में बांध का काम करता था। ये नदियां अपनी मिट्टी को गंगा के कटाव वाले क्षेत्रों में भरकर उसे स्थिरता प्रदान करती हैं।

बोले अधिकारी
सीवर की समस्या को दूर कराया जा रहा है। जल निगम को पाइप लाइन डालने की जिम्मेदारी दी गई है। स्थलीय निरीक्षण कर समस्या दूर कराई जाएगी। – विजय नारायण मौर्य, महाप्रबंधक जलकल

एक नजर में

120 एमएलडी गोइठहां
80 एमएलडी दीनापुर
140 एमएलडी दीनापुर
50 एमएलडी रमना
10 एमएलडी रामनगर
10 एमएलडी भगवानपुर
12 एमएलडी बीएलडब्ल्यू
10 एमएलडी बीएचयू

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