दक्षिण-पश्चिमी जिले की साइबर थाना पुलिस ने आरोपी विशाल आहुजा को गिरफ्तार किया है। आरोपी अक्तूबर 2023 से ठगी कर रहा था और अभी तक 100 से ज्यादा लोगों को ठग चुका है।
उत्तम नगर निवासी एक युवक ठगी का शिकार हुआ तो खुद ही जालसाजी करने लगा। दक्षिण-पश्चिमी जिले की साइबर थाना पुलिस ने आरोपी विशाल आहुजा को गिरफ्तार किया है। आरोपी अक्तूबर 2023 से ठगी कर रहा था और अभी तक 100 से ज्यादा लोगों को ठग चुका है। वह वर्क इंडिया जॉब पोर्टल पर एचडीएफसी बैंक में बैंकिंग सहायक और डेटा एंट्री ऑपरेटर की नौकरी लगवाने का झांसा देता था। आरोपी पूसा से डिप्लोमा धारक है।
दक्षिण-पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त रोहित मीणा ने बताया कि पालम गांव, नई दिल्ली निवासी सागर रंगा ने एनसीआरपी पर एक ऑनलाइन शिकायत 28 मार्च, 2024 को दर्ज कराई थी। उसने शिकायत में कहा था कि उसने वर्क इंडिया जॉब पोर्टल पर नौकरी का विज्ञापन देखा। उसने विज्ञापन में दिए गए मोबाइल नंबर पर फोन किया तो सामने वाले ने खुद को एचडीएफसी बैंक में एचआर हेड बताकर शिकायतकर्ता की पत्नी को एचडीएफसी बैंक में नौकरी दिलाने का झांसा दिया। इसके बाद आरोपी ने पीड़ित से प्रस्ताव पत्र, पुलिस सत्यापन व नियुक्ति पत्र भेजने के नाम पर कुल 6,829 रुपये ठग लिए। मामला दर्ज कर साइबर थाना प्रभारी विकास कुमार के नेतृत्व में एसआई रमेश यादव व अन्य की टीम ने जांच शुरू की।
पुलिस ने कोटक महिंद्रा बैंक के उस खाते की डिटेल खंगाली, जिसमें ठगी की रकम गई थी। पता चला कि कथित कोटक खाते से द्वारका मोड़ स्थित ग्रोवर स्वीट्स और केएफसी सफायर में भुगतान किया गया था। कथित कॉलिंग नंबर का स्वामित्व कथित खाताधारक से अलग था। आखिरकार एसआई रमेश यादव की टीम ने आरोपी विशाल आहुजा को उत्तम नगर से गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से कथित कॉलिंग नंबर वाले दो मोबाइल बरामद किए गए। आरोपी पहले भी दो साइबर धोखाधड़ी के मामलों में शामिल रहा है। आरोपी इसी तरीके से ठगी का शिकार हो गया था। इसके बाद इसने खुद ठगी करना शुरू कर दिया।
पीड़ितों के बैंक खाते में मंगाता था ठगी की रकम
ज्यादातर जालसाज ठगी की रकम को अपने या फिर फर्जी कागजात से खुलवाए गए बैंक खातों में मंगाते हैं। इस कारण जालसाज आसानी से पकड़ लिए जाते हैं। ये बात आरोपी विशाल को पता थी, इस कारण ये बहुत ही खास तरीके से ठगी की रकम को मंगाता था। ये पीड़ितों के बैंक खातों की डिटेल ले लेता था और एक पीड़ित के बैंक खाते में दूसरे पीड़ित से ठगी गई रकम को मंगाता और दूसरे पीड़ित से ठगी गई रकम पहले पीड़ित के खाते में मंगाता था। इसके बाद ये दोनों के खातों से ठगी की रकम निकाल लेता था या फिर ये पीड़ितों के नाम से बैंक खाते खुलवाकर उनमें ठगी की रकम मंगाता था। ये पीड़ित से केवाईसी दस्तावेज और बायोमैट्रिक्स ले लेता था।